Islamic Public Speaker Sahil Adeem Marriage Story in Hindi

Sahil Adeem Marriage Story in Hindi
Sahil Adeem Marriage Story in Hindi

 

Sahil Adeem ने बताया अपने पॉडकास्ट से की,, मेरे निकाह नामे में ना मेरे सारी फैमिली के ना शाह बुखारी और नकवी नाम लिखे हुए तो नकवी तो शिया होते हैं। शियों के साथ तो निकाह आराम है। मैं अब मौलवी साहब को ढूंढू के कोई बुलाए यार उनको और मुझसे तो पूछो वो खुद ही फैसले कर लिए हैं। मैंने कहा मसला क्या हुआ? कहते ये नाम लिखे हुए हैं। तो मैंने कहा यहीं लिखने हैं ना और कहां लिखने हैं ना? निकाह नामा गलत तो नहीं हो गया। नहीं नहीं वो सही जगह लिखे हैं। नाम गलत लिखे हैं। फिर मैंने कहा उर्दू गलत लिखी है। नहीं नहीं उर्दू नहीं गलत लिखी। कहा पहले तशरी लाएंगे एक दौर गुजरा 300 साल का सबा के बाद सबा शुरू हुआ था के फतवा कैसे लिया था 300 साल इमामिया दौर कहते हैं इसको कोई बताता ही नहीं हमें फतवा कैसे लेते थे उस वक्त मुसलमान देख लिया कि बंदा ठीक है नमाज शमाज पढ़ता है और सच्ची बात करता है मसला पूछते थे ऐसे करो फतवा हो गया सच्चे बात की बात सच्चे बंदे की बात फतवा होती थी इस लेवल का कैरेक्टर हो चुका था मुसलमानों का 300 साल तक फतवा ऐसे लिया है मुसलमानों में सोचने लगा कि कितनी ओपननेस थी, कितनी एक्सेप्टेंस थी। पता ही नहीं था कि कौन शिया है तो कौन सुन्नी।

और अभी चांद भी ईद भी नहीं कर सकते हम इकट्ठे। मतलब शादियां भी नहीं हो सकती

और अभी चांद भी ईद भी नहीं कर सकते हम इकट्ठे। मतलब शादियां भी नहीं हो सकती। मेरे ना क्या पर्सनल मिसाल दूं आपको यहां पे। मेरे निकाहनामे में ना मेरे सारी फैमिली के ना शाह, बुखारी और नकवी नाम लिखे हुए थे। तो बारात लेके गए थे और लड़की वालों की तरफ से कुसरपुसर शुरू हुई और फिर डिट्रीट शुरू हो गई कि यार ये तो आगे शाह लिखा हुआ है तो नकवी तो शिया होते हैं तो शियों के साथ तो निकाह हराम है। अब जाहिर है मैं उस वक्त मतलब इतने शरीर की सतह पे तो था कि शादी हो रही है तो पता था कि इतनी सियासत तो समझ आ गई थी। तो मैं अब मौलवी साहब को ढूंढूं कि कोई बुलाए यार उनको और मुझसे तो पूछो वो खुद ही फैसले कर लिए हैं। मतलब इतनी दूर आए हैं बहरहाल तो वो जाहिर है फिर उनकी जरा सेंस लड़की का मामला होता है। इज्जत लगी होती है तो वो जरा वावेला तो नहीं पहुंचा सकते। तो मुझे बाहर लेके गए कि सर वो ये आपके मैंने कहा मसला क्या हुआ? कहते यह नाम लिखे हुए हैं। तो मैंने कहा यहीं लिखने है ना और कहां लिखने ना? निकाह नामा गलत तो नहीं हो गया? नहीं नहीं नहीं वो सही जगह लिखे नाम गलत लिखे फिर मैंने उर्दू गलत लिखी है नहीं नहीं उर्दू नहीं गलत लिखी मुंह से बोल भी नहीं सकते थे ना कहना क्या चाह रहे थे कोई तुम पहले तश सही तो नहीं हो ये पूछना चाह रहे हैं मगर इधर उधर से आ रहे तो मैंने कहा कि आप क्या पूछना चाह रहे हैं आप सही तरह से कहते ये नेमत अली शाह बुखारी ये मुनववर शाह बुखारी ये नकवी ये आप लोगों का मजहब क्या आएगा इस्लाम ऊपर लिखा है इस्लाम हां अच्छा तो मैंने कहा पूछ पूछी शाबाश अब मैं जान के ना बढ़ा रहा था बात को के इसके उस कीड़े को मारूं के हिम्मत नहीं हो रही तो निकल फिर अगर हिम्मत है तो पूछता पहले तशरी है कि नहीं कहता अल्लाहू अकबर आपको कैसे बताऊं सर बहुत बड़ा मसला हो जाना था असल में मसला हुआ हुआ है आपके साथ हो जाना नहीं था काफी पुराना चलता हुआ आ रहा है आपको वो नजर नहीं आ रहा बस।

शुक्र अल्लाह का शुक्र है कि मैंने शरी सतह के ऊपर उसको सच बात बताई

तो शुक्र अल्लाह का शुक्र है कि मैंने शरी सतह के ऊपर उसको सच बात बताई कि यार ये इस वक्त मैं तुझे तबलीग नहीं कर सकता। मगर यहां पे अगर तू शादी रोक देता ना तो मसला सिर्फ लड़की लड़के का ना होता। मसला अगली जनरेशंस का तुम लोगों ने जो कीड़ा पाला भाई आगे से आगे ट्रांसफर कर रहे हो। क्या कर सकते हैं हम? हर जगह के ऊपर ये मसला हमारा हर हर शोबे के अंदर है हमारा यह मसला। इट्स अ प्रॉब्लम ऑफ पेरेंट्स। इट्स अ प्रॉब्लम ऑफ़ पेरेंट्स टिल देयर यू गाइस आर 12। अब आप बच्चे नहीं रहे। अब आप सबसे छोटा बंदा कौन है इस वक्त कमरे में? 20 साल से कम है कोई इस वक्त। ठीक है। 18 साल बस ठीक है। चलें जो 20 साल से ऊपर है ना, आपके तो बच्चे होने चाहिए थे अब तक। जी हां। जिसजिस की 20 साल से ऊपर है बस उसकी उम्र शादी की है। ठीक है? ये दो जनरेशन पीछे चले जाए तो 21 साल के मर्द के बच्चे होते थे। कोई अननोनी बात नहीं। मेरे अपने भी थे ना इसलिए मुझे पता है। तो ये कोई वो वाली ये 12 नहीं चलेगा। सर अम्मी-अब्बू की वजह से ऐसा हूं। मैं ओ भाई तू खुद अम्मी अब्बू है। मतलब आप क्या अम्मी अब्बू को रो रहा है यार? आप तो बच्चों को रो। सो आप वो वाला गाने नहीं और जो 18 साल के हैं उनके भी तीन चार साल ही है ढूंढ तो आपने ली हुई है पहले से आप उनमें से किसी एक से कर लें जो भी आपके सब मोबाइल में प्री अपोजिशन वाले निकाहनामे सेव हुए हुए हैं उनको साइन नहीं करना ना आपने बस 18 साल का लड़का इस वक्त निकाहनामा ही ढूंढ रहा है। ये एक ऐसी सतह होती है कि मैं आशानी साहब को ये वाक्य सुनाता हूं कि जब आला हजरत का इंतकाल हुआ ना आला हजरत अहमद रजा बरेली साहब का जब इंतकाल हुआ तो उनके एक शागिर्द ने आके कहा ऐसे ही क्या आपको पता है वो ना अंजार मर गया तो धामी साहब ने कहा कौन मर गया वो अहमद रजा मर गया सर और एक और ज्यादा अल्फाज़ का चुनाव और भी ज्यादा क्रूड था मैं नहीं करना चाह रहा और भी ज्यादा गलत लफज़ थे तो दानवी साहब ने कहा ये ऐसे क्यों बात कर रहा यार तू उसके बारे में कहते तो सारी उम्र काफिर काफिर कहता रहा हमें अब मर गया। तो तानवी साहब का जुमला सुने जरा गौर से शूर क्या कैसी आवाज निकालता है? उन्होंने उन्होंने कहा कि तुझे पता है जिस नियत से वो हमें काफिर कहता था ना वो नियत नबी सलाम का प्यार था। वो खाली उस नियत को ही बेचेगा ना तो जन्नत निकल आएगी उसमें से। और तूने उसको ऐसे से का इस्तेमाल कर दिया तूने। शूर किस लेवल तक पहुंचता है? ये जो हम ना एकदम बंदा जीरो कर देते हैं ना ये देखें उलमा शूर बा शूर लोग कैसे देखते हैं इस चीज को। फिर एक दफा आए तशियों का ना दानवी साहब को आके याद आ गया मातम चल रहा था तो अब देवबंद तो आपको पता है ना बरेलवियों ने क्या शियों के खिलाफ होना चाहिए देवबंद शियों के खिलाफ तो उन्होंने कहा यार ये क्या कर रहे हो? तो उन्होंने कहा भैया बात भी है ये भजन करते हैं हमारे आगे तो हम मातम करते हैं इनके आगे तो थामी साहब ने कहा अच्छा अच्छा जब तक ये भजन ना छोड़े माता ना छोड़ना गौर से समझे किस नस को उन्होंने पकड़ा है कि इनका इस्लाम इस बेस में बचा हुआ है कि वो भजन करते हैं अगर उन्होंने भजन छोड़ा तो इनका इस्लाम ही फारग हो जाएगा समझे इस बात को किधर से एक शूर वाला बंदा पकड़ता कैसे किसी बात को यहां पे वो कहते ना यार तुम भी काफिर तो वो भी काफिर तू मातम कर रहा है तो वो भजन कर रहा है तो क्या करना क्या क्या क्या फायदा होना था उसे बहुत ही सेंसिटिव लेवल के ऊपर अपने शूर को बैलेंस करें कि हर चीज में से खैर निकालनी कैसे? क्योंकि वो सेंसिटिव क्यों कह रहा हूं गुस्सा भी आएगा कि यार ये तू मेरे बुजुर्गान को गालियां देने वाला बंदा है। मगर खैर उसी से लेनी है आपने। इस ऐज में अगर आपको ये शूर आ गया ना जिस ऐज में आप हैं। तो अगर 10 साल जितना बंदा आपको मिलेगा सिर्फ आपको इल्म दे रहा होगा। हर बंदा आपको इल्म देने के लिए बैठा हुआ है। और अगर आपने ये मीटर तोड़ दिया ना तो दुनिया में कोई एक ही बंदा मिलेगा ढूंढ ढांड को इतनी हिम्मत नहीं होगी वो इल्म देगा क्योंकि वो आप वाली पगड़ी वाला बस और वो भी आजकल के जो हालात है हर बंदा नहीं तुझे कम पता है मुझे ज्यादा पता है वो वैसे ही गुस्सा रहता है कि यार मैं तो अच्छी नीत से सीखने आया हूं फिर भी तू जताई जा रहा है कि तुझे ज्यादा आता है सो अंडरस्टैंड जिस वक्त यूथ को ये पता चल जाए ना के जिस बंदे ने भी अल्लाह रसूल की बात करनी है वो इस वक्त गोल्डन एसेट है सब कुछ ले लो उससे चाहे वो सब पकड़ी है, काली पकड़ी है, सफेद पकड़ी है या बगैर पकड़ी के है। बगैर पकड़ी के भी तो है ना मसला के ओए तो नमाज नहीं हुई। नमाज नहीं हुई। कोई बात नहीं। उसके अंदर बहुत अच्छाइयां है। हम सबके साथ पिटाई हुई हुई है हम सबकी। अब पिंडी वाले हैं। हमें भी बिठाओ। चलो बाहर निकलो। या पीछे जाओ। ये टोपियां रखी हुई है तुम्हारे लिए। हम सबके साथ हुआ है वाक्या। ठीक है। तो खैर उसके बाद वो मस्जिद जाना छोड़ना नहीं चाहिए था हमें। छोड़ दिया था कि यार ये अंकल जब तक बैठे हैं ना मैं इधर पीछे तो नहीं पढ़ना पड़ता नमाज़। यही किया हमने सबने जीरो से मल्टीप्लाई करते हैं। उसने कहा नेचुरल रिएक्शन भी यही है। अल्लाह ताला ने कहा कि आपस में नहीं गुस्सा करना आपने। अल कुफार आपस में कहां से तुमने गैरते लगा ली है। ये गैरत कुफार के लिए बचा के रखो। आपस में सिर्फ चूसोगे सिर्फ और सिर्फ आपस में एक दूसरे से इल्म हासिल करोगे जितना मर्जी जो मर्जी हो एक दफा इनिशिएटिव आपने ले लिया ना खुदा की कसम सबसे बड़ा बरेलवी भी सबसे बड़ा अहले हदीस भी सबसे बड़ा देवबंदी भी आपको जपी डाल डाल के आपको सिखाएगा कि अरे ये तो ये तो आई पॉजिटिविटी और मेरी मेरी किसी बात का ये वो वाला रिएक्शन नहीं दे रहा जो मैं और अगर वो पूछेगा आप मेरी मसलक से हैं तो आप डर जाएंगे आप इसका जवाब दूंगा तो फिर आप बताना बंद कर देंगे तो आप कहते हो हां ठीक जी के मसला आप जारी रखें जरा अपना सेशन क्या बताऊं कि मैं अब एक ऐसे मसल से हूं जिसमें सिर्फ इल्म आता है बस और वो मसल से बड़ा लफज़ है उसको मनहज कहते हैं कि मैं उस मनहज पे आ गया हूं कि जहां पे हर बंदा सिर्फ और सिर्फ मुझे इल्म देता होता तो 10 साल में काम करना था वो एक साल में हो जाएगा मेरे लिए अब एक साल से भी कम होगा इस वक्त तो सोशल मीडिया का दौर है सोशल मीडिया पे तो एक वीडियो आपने एक लाइक कर दी ना उस तरह की हजार वीडियो खुद ही देता हूं गिफ्ट में आपको बिज़नेस है उनका यार अस्सलाम वालेकुम दिस मी फैसल आई होप आप खैरियत से होंगे वी ऑल नो हमारी सोसाइटी के अंदर मेल की जो डेफिनेशन है उसको कितना ज्यादा करप्ट कर दिया गया है कितना ज्यादा डाइलट कर दिया गया है अल्लाह सुान व ताला ने तो मेल को जो है वो एक कवाम बनाया था रिस्पांसिबल बनाया था लीडरशिप क्वालिटीज दी थी उसको मगर अनफॉर्चूनेटली हमारी पैरेंटिंग फार्टी पैरेंटिंग की वजह से हमारे इस जॉइंट फैमिली सिस्टम की वजह से जो एक बेसिक राइट ऑफ मैन होते हैं। उनको ही इतना ज्यादा दबा के रख दिया गया है कि एक मेल को ही नहीं पता कि उसके राइट्स क्या होते हैं या उसने कौन से ड्यूटीज को परफॉर्म करना होता है या उसने कौन से स्टैंडर्ड्स को फुलफिलमेंट करके सोसाइटी में अपना रोल प्ले करना होता है। ना तो उसके पास डिसीजन मेकिंग सेंस है ना ही उसके पास इतना ज्यादा एक क्रिटिकल एनालिसिस है कि वो खुद ही चीजों को लेके चल सके। वो कभी भी डिपेंडेंट मूड से सर्वाइवल मूड में नहीं आता। वो उसके जो शुरू से लेके फ्रॉम द वेरी बिगिनिंग उसके शादी से पहले मक्के के मामलात उसकी शादी के वो उसके पेरेंट हैंडल कर रहे होते हैं और उसके बाद भी वही एक जो सर्कल है उसको ब्रेक नहीं किया जाता उसी को फॉलो थ्रू कर किया जाता है और ऐसे लोग कभी भी लीडरशिप क्वालिटीज को फुलफिलमेंट नहीं दे सकते क्योंकि उन्होंने कभी वो फज़ ऑफ़ लाइफ देखी नहीं होता कि जिसमें वो सर्वाइवल मूड में आते हैं। वो हमेशा अपने पेरेंट्स के ऊपर डिपेंडेंट रहते हैं। वो हर वो फैसला जो कि उनकी अपनी एक प्राइवेसी ब्रीच कर रहा होता है। वो फिर भी अपने पेरेंट्स से लेके आ रहे होते हैं। और ये तो एक छोटी सी एग्जांपल हम ले सकते हैं। इसको बिगर लेवल पे लेके चले जाए। जब तक हम आने वाली जनरेशन को यह सबक नहीं देंगे कि इस्लाम आपको कौन से स्टैंडर्ड्स देता है। व्हाट इज द रियल डेफिनेशन ऑफ़ अ मैन इन कुरान, थ्रू कुरान, थ्रू हदीस। तो कभी भी हम उनसे बिग चीज़ एक्सपेक्ट नहीं कर सकते हैं। तो, फिर हम उनसे यही चीज़ एक्सपेक्ट कर सकते हैं। क्योंकि वो कोई TikTok चला रहा होगा। कोई जो है वो अफेयर्स में इन्वॉल्व होगा। कोई जो है वो खुद को सूडो इंटेलेक्टिव समझ रहा होगा। फिर हमसे यही चीज़ एक्सपेक्ट कर सकते हैं। हम इन लोगों से यह चीज़ एक्सपेक्ट नहीं कर सकते हैं कि यह कश्मीर को बचाएंगे, यह फ़स्तीन को बचाएंगे। क्योंकि ऐसे लोग जो हैं, वह कभी भी बिगर बिग गेम के प्लेयर नहीं बन सकते हैं। दे विल प्ले स्माल थिंग्स जो कि सोसाइटी के ऊपर भी अफेक्ट नहीं कर रही होती हैं।

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