सूरः ब-करह और उसके फ़ज़ाईल । Surah Baqarah ki Fazayel Hindi

सूरः ब-करह और उसके फ़ज़ाईल

तफसीर इब्ने कसीर जिल्द (1)

पारा (1)

सूरः ब-करह और उसके फ़ज़ाईल

सूरह फातिहा ⇐।        ⇒ सूरह ब-करह Next

हज़रत मकल बिन यसार रजि. फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया-• सूरः ब-करह कुरआन की कोहान (कोहान ऊँट का वह उभरा हुआ हिस्सा जो कमर पर होता है) और इसकी ■ बुलन्दी है। इसकी एक-एक आयत के साथ अस्सी अस्सी फरिश्ते नाज़िल होते थे और ख़ास तौर पर आयतुल-कुर्सी जो खास अर्श से नाज़िल हुई और इस सूरत के साथ मिलाई गयी। सूरः ‘यासीन’ कुरआन का दिल है, जो शख़्स इसे अल्लाह तआला की रज़ा ढूँढने और आख़िरत की तलब के लिये पढ़े उसे बख़्श दिया जाता है। इस सूरत को मरने वाले के सामने पढ़ा करो। (मुस्नद अहमद) इस हदीस की सनद में एक जगह ‘अन् रजुलिन’ (एक आदमी से रिवायत) है, जिससे यह नहीं मालूम होता था कि इससे मुराद कौन हैं, लेकिन मुस्नद अहमद ही की दूसरी रिवायत में उनका नाम अबू उस्मान आ गया है। यह हदीस इसी तरह अबू दाऊद, नसाई और इब्ने माजा में भी है। तिर्मिज़ी की एक ज़ईफ सनद वाली हदीस में है कि हर चीज़ की एक बुलन्दी होती है, और कुरआन पाक की बुलन्दी सूरः ब-करह है। इस सूरत में एक आयत है जो तमाम आयतों की सरदार है और वह आयतुल-कुर्सी है। मुस्नद अहमद, सही मुस्लिम, तिर्मिज़ी और नसाई में ■ हदीस है कि अपने घरों को कब्रें न बनाओ। जिस घर में सूरः ब-कह पढ़ी जाये वहाँ शैतान दाखिल नहीं हो सकता। इमाम तिर्मिज़ी रह. इसे हसन सही बतलाते हैं। एक और हदीस में है कि जिस घर में सूरः ब-कह ■ पढ़ी जाये वहाँ से शैतान भाग जाता है। इस हदीस में एक रावी को इमाम यहया बिन मईन तो सिका (काबिले भरोसा) बतलाते हैं लेकिन इमाम अहमद वगैरह उनकी हदीस को मुन्कर कहते हैं। हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि. से भी इसी तरह का कौल मन्कूल है। इसे इमाम नसाई ने ‘अमलुल-यौम वल्लैलतु’ में और हाकिम ने मुस्तद्रक में रिवायत किया है और इसकी सनद को सही कहा है।

इब्ने मर्दूया में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- मैं तुममें से किसी को ऐसा न पाऊँ कि वह पैर पर पैर चढ़ाये पढ़ता चला जाये। लेकिन सूरः ब-करह न पढ़े। सुनो! जिस घर में यह ■ मुबारक सूरत पढ़ी जाती है वहाँ से शैतान भाग खड़ा होता है। सब घरों में बदतरीन और ज़लील घर वह है

जिसमें किताबुल्लाह की तिलावत न की जाये। इमाम नसाई ने ‘अमलुल-यौम वल्लैलतु’ में भी इसे बयान ■ किया है। मुस्नद दारमी में हज़रत इब्ने मसऊद रज़ि. से रिवायत है कि जिस घर में सूरः ब-करह पढ़ी जाये उस घर से शैतान हवा छोड़ता हुआ भाग जाता है। हर चीज़ की ऊँचाई होती है और कुरआन की ऊँचाई ■ (बुलन्दी और रुतबे की चीज़) सूरः ब-क्रह है। हर चीज़ का मग़ज़ होता है और कुरआन का मग़ज़ मुफस्सल की सूरतें हैं। हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि. का फरमान है कि जो शख्स सूरः ब-क्रह की चार पहली आयतें और आयतुल-कुर्सी और दो आयतें उसके बाद की और दो आयतें सबसे आख़िर की, यह कुल दस आयतें रात के वक़्त पढ़ ले उस घर में शैतान उस रात नहीं जा सकता, और उसे या उसके घर वालों को उस दिन शैतान या कोई और बुरी चीज़ सता नहीं सकती। ये आयतें मजनूँ (पागल) पर पढ़ी जायें तो उसका दीवानापन भी दूर हो जाता है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं कि जिस तरह हर ● चीज़ की बुलन्दी होती है कुरआन की बुलन्दी सूरः ब-करह है। जो शख्स रात के वक़्त इसे अपने घर में पढ़े तीन रातों तक शैतान उस घर में नहीं जा सकता। और दिन को अगर घर में पढ़ ले तो तीन दिन तक शैतान उस घर में कदम नहीं रख सकता। (तबरानी, इब्ने हिब्बान व इब्ने मर्दूया)

तिर्मिज़ी, नसाई और इब्ने माजा में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक छोटा-सा लश्कर एक जगह भेजा और उसकी सरदारी आपने उन्हें दी जिन्होंने फरमाया था कि मुझे सूरः ब-क्रह याद है। उस ॥ वक़्त एक शरीफ (बड़े और सम्मानित) शख्स ने कहा मैं भी इसे याद कर लेता लेकिन मुझे डर लगा कि ऐसा न हो मैं इस पर अमल न कर सकूँ। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कुरआन सीखो, कुरआन को पढ़ो। जो शख्स इसे सीखता है पढ़ता है फिर इस पर अमल भी करता है उसकी मिसाल ऐसी ■ है जैसे मुश्क भरा हुआ बरतन, जिसकी खुशबू हर तरफ महक रही है। इसे सीखे हुए सो जाने वाले की ■ मिसाल उस बरतन के जैसी है जिसमें मुश्क तो भरी हुई है लेकिन ऊपर से मुँह बन्द कर दिया गया है। इमाम तिर्मिज़ी इसे हसन कहते हैं। एक और मुर्सल रिवायत भी है। वल्लाहु आलम ।

सही बुखारी शरीफ में है कि हज़रत उसैद बिन हुज़ैर रज़ि. ने एक मर्तबा रात को सूरः ब-क्रह की • तिलावत शुरू की। उनका घोड़ा जो उनके पास ही बंधा हुआ था उसने बिदकना शुरू किया। आपने • किराअत छोड़ दी, घोड़ा भी सीधा खड़ा हो गया। आपने फिर पढ़ना शुरू किया, घोड़े ने भी फिर बिदकना ■ शुरू किया। आपने फिर पढ़ना रोक दिया, घोड़ा भी ठीक हो गया। तीसरी मर्तबा भी यही हुआ, चूँकि उनके • बेटे यहया घोड़े के पास ही लेटे हुए थे इसलिये डर मालूम हुआ कि कहीं बच्चे को चोट न आ जाये, ■ कुरआन का पढ़ना बन्द करके उसे उठा लिया। फिर आसमान की तरफ देखा कि घोड़े के बिदकने की क्या • वजह है? सुबह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में आकर वाकिआ बयान करने लगे। आप सुनते जाते हैं और फरमाते जाते हैं उसैद! पढ़ते चले जाओ। हज़रत उसैद रज़ि. ने कहा हुजूर। तीसरी मर्तबा के बाद तो यहया की वजह से मैंने पढ़ना तो बिल्कुल बन्द कर दिया, अब जो निगाह उठी तो क्या देखता हूँ • कि एक नूरानी चीज़ बादल की तरह साया किये हुए है और उसमें चिराग़ों जैसी रोशनी है। बस मेरे देखते • ही देखते वह ऊपर को उठ गयी। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया जानते हो यह क्या चीज़ थी? यह फरिश्ते थे जो तुम्हारी आवाज़ सुनकर करीब आ गये थे, अगर तुम पढ़ना बन्द न करते तो सुबह तक यूँही रहते और हर शख्स उन्हें देख लेता, किसी से न छुपते। यह हदीस कई किताबों में मुख्तलिफ

सनदों के साथ मौजूद है। वल्लाहु आलम। इसके क्रीब-करीब वाकिआ हज़रत साबित बिन कैस बिन शिमास रज़ि. का है कि एक मर्तबा लोगों ने

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में अर्ज किया- पिछली रात हमने देखा कि रात भर हज़रत साबित का घर नूर का गुंबद बना रहा और चमकदार रोशन चिरागों से जगमगाता रहा। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया- शायद उन्होंने रात को सूरः ब-करह पढ़ी होगी। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा सच है, रात को मैं सूरः बन्करह की तिलावत में मशगूल था। इसकी सनद तो बहुत उम्दा है मगर इसमें इव्हाम (अस्पस्टता) है और यह मुर्सल भी है। वल्लाहु आलम।

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